लेखनी प्रतियोगिता -चांद पर भारत 13-Oct-2023
✍️ विजय पोखरणा "यस"
चांद पर भारत
यह मैं कहां आ गया
नीला आसमां गायब हो गया
चांद कि जगह पृथ्वी के दर्शन हो गए
ऑक्सीजन मास्क लगाना पड़ गया
पत्नी कि आवाज नहीं गूंज रही
एक घुटन सी लग रही
दिन भर डॉट खाने कि आदत जो हो रही
शोरगुल के बिना मन नहीं लग रहा
एक घुटनभरा सुकुन सा मिल रहा
क्योंकि दोस्तों का अभाव जो खल रहा
दूर दूर तक सूना सुना लग रहा
भूख लगने पर पैक खाना खा रहा
चंदा मामा तुम दूर से बहुत अच्छे लगते हो
किन्तु ननिहाल में बेहाल सा हो गया
मेरा परिवार कहां चला गया
बच्चों को होम वर्क कोन कराएगा
मां बापू को दवाई कोन देगा
राशन सब्जी कोन लायेगा
नही भाया मुझे चंदा मामा तेरा आंगन
कहावत ठीक कही है मामा
"चंदा मामा दूर के
पुए पकाएं पूर के
आप खाए थाली में
मुन्ना को दे प्याली में
प्याली गई फूट
मुन्ना गया रूठ"
मामा मुझे नही लगा अच्छा तेरा घर
मैं चला अपनी भारत धरती पर
अचानक नींद से उठा मैं पत्नी कि दहाड़ से
गिरा चांद से नीचे पृथ्वी पर धड़ाम से
आखिर जाना सबसे सुन्दर है भारत सारे जहान से।।
✍️ विजय पोखरणा "यस"
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Mohammed urooj khan
16-Oct-2023 12:52 AM
👌👌👌👌
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Arti khamborkar
14-Oct-2023 08:22 AM
v nice
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Gunjan Kamal
14-Oct-2023 08:38 AM
👏👌
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